Saturday, July 20, 2013

LITERARY SEMINAR ON PREM CHAND IN MDU ,

 महान साहित्यकार प्रेम चंद की रचनाएं कालजयी हैं। जरूरत है कि प्रेमचंद समेत भारतीय साहित्यकारों की रचनाओं को जनमानस तक पहुँचाया जाए। समाज में साहित्यिक चेतना को जागृत करने के आह्वान के साथ आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के हिन्दी विभाग में प्रेम चंद और कथा समय विषयक साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस संगोष्ठी में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे प्रतिष्ठित कथाकार तथा हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय ने कहा कि महान कथाकार प्रेम चंद की रचनाएं आज भी प्रेरित करती हैं। साहित्य को समाज का जागरूक पहरेदार करार देते हुए कमलेश भारतीय ने कहा कि साहित्य समाज को जागरूक करता है। उन्होंने बताया कि प्रेम चंद की कहानियंा पढक़र उनको कथा-साहित्य लिखने की प्रेरणा मिली। ग्रामीण जीवन के यथार्थ का मार्मिक चित्रण प्रेमचंद की कहानियों में देखने को मिलता है, ऐसा उनका कहना था।
कमलेश भारतीय ने बताया कि साहित्य को युवा पीढ़ी में लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका च्कथा समयज् के जरिए पूरे प्रांत में कथा साहित्य के प्रति रूचि जगाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मदवि के हिन्दी विभाग का इस आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिष्ठित संस्कृति कर्मी रणबीर सिंह ने कहा कि आंचलिक साहित्य को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। रणबीर सिंह ने कहा कि लोक साहित्य, लोक संस्कृति की अपनी खूबसूरती है तथा मौलिकता है। इसको बढ़ावा दिए जाने की विशेष जरूरत है। जीवन और साहित्य के मध्य विशिष्ट रिश्ता है, ऐसा उनका कहना था।
प्रतिष्ठित हिन्दी समालोचिका एंव हिन्दी विभाग की अध्यक्षा प्रो रोहिणी अग्रवाल ने कार्यक्रम में अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि साहित्यिक रचनाओं सभालोचनात्मक ढंग से पठन-पाठन शोधार्थियों विद्यार्थियों के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रेम चंद नि: संदेह महान कथाकार है। परंतु स्त्री विमर्श एवं दलित विमर्श के संदर्भ में भी उनकी रचनाओं का पुन: पाठ जरूरी है। विभागध्यक्षा प्रो रोहिणी अग्रवाल ने कहा कि प्रेम चंद पर आधारित इस संगोष्ठी के जरिण शोधार्थियों को इस महान साहित्यकार पर साहित्यिक चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में मदवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर तथा जनंसपर्क निदेशक सुनित मुखर्जी ने कहा कि साहित्य मनुष्य को मानवीय बनाता है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील समाज बनाने के लिए समाज में साहित्य एंव पुस्तक संस्कृति विकसित किए जाने की जरूरत है। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो संजीव कुमार ने स्वागत भाषण दिया तथा अतिथि वक्ता का परिचय दिया।
कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी सतीश डांगी ने किया। शोधार्थी- विनीता, शर्मिला राठी, श्रुति सुधा आर्य ने प्रेम चंद पर शोध आलेख प्रस्तुत किए। विधि विभाग के प्रो अजमेर काजल समेत हिन्दी विभाग के प्राध्यापकगण मौजूद रहे।


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